पहले जीएसटी से छूट की सीमा 20 लाख रुपए और कंपोजीशन स्कीम की लिमिट 1 करोड़ रु थीछोटे कारोबारियों को राहत देते हुए जीएसटी काउंसिल ने लिमिट बढ़ाने का फैसला कियाकंपोजीशन स्कीम के तहत कारोबारी साल में एक बार रिटर्न भर सकेंगे लेकिन टैक्स हर तिमाही जमा कराना होगा
जीएसटी काउंसिल के फैसले 1 अप्रैल से लागू होंगा कंपोजीशन स्कीम के लिए सालाना टर्नओवर की लिमिट भी 1 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1.5 करोड़ कर दी है। कंपोजीशन स्कीम के तहत आने वाले कारोबारियों को टैक्स हर तिमाही में जमा करवाना पड़ेगा लेकिन रिटर्न साल में एक बार भर सकेंगे। जीएसटी काउंसिल के फैसले 1 अप्रैल से लागू होंगे। कंपोजीशन स्कीम का फायदा लेने वाले कारोबारियों के लिए टैक्स की दर फिक्स होती है। सर्विस सेक्टर को भी कंपोजीशन स्कीम का फायदा सर्विस सेक्टर को भी राहत दी गई है। 50 लाख रुपए तक टर्नओवर वाले सर्विस प्रोवाइडर को कंपोजीशन स्कीम का फायदा मिलेगा। केरल में आपदा सेस लागू होगा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसएटी काउंसिल की 32वीं बैठक के फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केरल 2 साल तक अधिकतम 1% तक का आपदा सेस लगा सकेगा। पिछले साल आई बाढ़ से हुए नुकसान को देखते हुए यह प्रस्ताव दिया गया था। फ्लैट खरीद पर जीएसटी घटाने के प्रस्ताव पर मंत्री समूह विचार करेगा रिएल एस्टेट सेक्टर के लिए जीएसटी दर घटाने पर गुरुवार की बैठक में सहमति नहीं बन पाई। अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट पर जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% करने का प्रस्ताव था। इस पर विचार करने के लिए 7 सदस्यीय मंत्री समूह का गठन किया जाएगा। लॉटरी पर जीएसटी की दरों पर भी मंत्री समूह विचार करेगा।
क्या है GST?
GST का मतलब गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स है। इसको केंद्र और राज्यों के 17 से ज्यादा इनडायरेक्ट टैक्स के बदले में लागू किया जाएगा। ये ऐसा टैक्स है, जो देशभर में किसी भी गुड्स या सर्विसेस की मैन्युफैक्चरिंग, बिक्री और इस्तेमाल पर लागू होगा।इससे एक्साइज ड्यूटी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), स्टेट के सेल्स टैक्स यानी वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैम्प ड्यूटी, टेलिकॉम लाइसेंस फीस, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या बिक्री और गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन पर लगने वाले टैक्स खत्म हो जाएंगे। सरल शब्दों में कहें तो जीएसटी पूरे देश के लिए इनडायरेक्ट टैक्स है, जो भारत को एक समान बाजार बनाएगा। जीएसटी लागू होने पर सभी राज्यों में लगभग सभी गुड्स एक ही कीमत पर मिलेंगे। अभी एक ही चीज के लिए दो राज्यों में अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ती है। इसकी वजह अलग-अलग राज्यों में लगने वाले टैक्स हैं। इसके लागू होने के बाद देश बहुत हद तक सिंगल मार्केट बन जाएगा।
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